कुछ दिन तो बसो.. मेरी आँखों में...
फिर ख्वाब अगर हो... जाओ तो क्या...
कोई रंग तो दो... मेरे चेहरे को....
फिर जख्म अगर... महकाओ तो क्या...
एक आइना था...सो टूट गया...
अब खुद से अगर.... शरमाओ तो क्या...
मै तनहा था... मै तनहा हूँ...
तुम आओ तो क्या...ना आओ तो क्या...
जब हम ही न महके... फिर साहिब...
तुम बाद-ए-सबा ...कहलाओ तो क्या...
जब देखने वाला... कोई नहीं...
बुझ जाओ तो क्या...जल जाओ तो क्या...