इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेरा, कभी
लगा नहीं
लिखी थी कवितायेँ ,
संजोये थे कई सपने
मिलेगी कोई शह्जादी ख्वाबों की
सुनाता जिसे अरमान अपने
मुद्दतों से तलाश में हूँ मगर,
इस तरह से अपना कोई लगा नहीं
इश्क है मेरा , कोई दगा नहीं
इस तरहा से दिल मेरा, कभी
लगा नहीं